Women's Day कविता


फूल जैसी कोमल नारी, कांटो  जितनी कठोर नारी 

अपनो की हिफाजत में सबसे अव्वल नारी 

दुखो को दूर कर, खुशियों को समेटे नारी 

फिर लोग क्यों कहते तेरा अस्तित्व क्या नारी 

जब अपने छोटे छोटे ख्वाईशो को जीने लगाती नारी 

दुनिया दिखती हे उसे उसकी दायरे सारी 

अपने धरम में बंधी नारी, अपने करम में बंधी नारी 

अपनो की ख़ुशी के लिए खुद के सपने करती कुरबान नारी 

जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी 

फूल जैसी कोमल नारी, कांटो  जितनी कठोर नारी 

Happy Women's  Day 



Comments